Wednesday 14 November 2018

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ए आर रहमान की जीवनी ‘नोट्स ऑफ़ अ ड्रीम’ का लोकार्पण किया गया

  भारत के प्रसिद्ध संगीतकार एवं ऑस्कर पुरस्कार विजेता ए. आर. रहमान द्वारा मुंबई में अपनी जीवनी “नोट्स ऑफ़ अ ड्रीम” लॉन्च की गई। ए. आर. रहमान की यह जीवनी लेखक कृष्णा त्रिलोक द्वारा वर्णित  गई है। इस पुस्तक में रहमान के जीवन का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें उनके व्यक्तिगत जीवन से लेकर व्यावसायिक जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया गया है। कृष्णा त्रिलोक द्वारा लिखित, लैंडमार्क और पेंगुइन रैंडम हाउस के सहयोग से यह जीवनी मुंबई में लॉन्च की गई थी। पुस्तक लोकार्पण के समय ए आर रहमान ने अपने जीवन की जानकारी सार्वजनिक करते हुए कहा कि, “25 वर्ष तक, मैं सुसाइड करने के बारे में सोचता था। हम में से ज्यादातर महसूस करते हैं कि यह अच्छा नहीं है। क्योंकि मेरे पिता का इंतकाल हो गया था तो एक तरह का खालीपन था। कई सारी चीजें हो रही थी लेकिन इन सब चीजों ने मुझे और अधिक निडर बना दिया। मौत निश्चित है। जो भी जीच बनी है उसके इस्तेमाल की अंतिम तिथि निर्धारित है तो किसी चीज से क्या डरना। 

ए आर रहमान के बारे में :- 
 रहमान का पूरा नाम अल्लाहरख्खा रहमान है, उनका जन्म 6 जनवरी, 1967 को मद्रास (चेन्नई) में हुआ था। 
 रहमान एक संगीत निर्देशक, कंपोजर, गीत लेखक तथा संगीत उत्पादक हैं। 
अपने अदभुत संगीत के लिए रहमान ने अब तक 6 राष्ट्रीय पुरस्कार, 2 ग्रैमी अवार्ड, 2 अकादमी अवार्ड, एक बाफ्टा अवार्ड, एक गोल्डन ग्लोब अवार्ड तथा 15 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं। 
उन्हें वर्ष 2010 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 
रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए दो ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त हुए है। 
 इसी फिल्म के गीत “जय हो” के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार भी मिले।

बजरंग पूनिया 65 किग्रा वर्ग में दुनिया के नंबर एक पहलवान बने

  भारत के प्रसिद्ध पहलवान बजरंग पूनिया ने 65 किग्रा वर्ग में शीर्ष विश्व रैंकिंग हासिल की। इस सत्र में 5 पदक जीतने वाले 24 वर्षीय बजरंग पूनिया यूडब्ल्यूडब्ल्यू की सूची में 96 अंकों के साथ रैंकिंग तालिका में शीर्ष पर हैं। इस वर्ष बजरंग पूनिया ने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने के अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक हासिल किया था। बजरंग पूनिया का प्रदर्शन इस वर्ष सराहनीय रहा। वह बुडापेस्ट वर्ल्ड चैंपियनशिप में वरीयता पाने वाले एकमात्र भारतीय पहलवान रहे। बजरंग ने दूसरे स्थान पर मौजूद क्यूबा के एलेजांद्रो एनरिक व्लाडेस टोबियर पर मजबूत बढ़त बना रखी है जिनके 66 अंक हैं। बजरंग ने विश्व चैंपियनशिप के करीबी सेमीफाइनल में टोबियर को हराया था। 
बजरंग पूनिया के बारे में :- 
 बजरंग पूनिया का जन्म 26 फरवरी 1994 को हरियाणा के झज्जर में हुआ था। 
 वर्ष 2013 में उन्होंने एशियाई कुश्ती चम्पिनोशिप में कांस्य पदक जीता, तत्पश्चात इसी वर्ष उन्होंने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। 
 वर्ष 2014 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता। v
 वर्ष 2014 में एशियाई खेलों में उन्होंने पुनः रजत पदक जीता। इसके बाद 2014 एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में बजरंग पूनिया ने रजत पदक जीता। 
 उन्होंने एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता 2017 में भी स्वर्ण पदक जीता। 
 वर्ष 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों में बजरंग पूनिया ने ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में स्वर्ण पदक जीता। इसके अतिरिक्त 2018 एशियाई खेलों में बजरंग पूनिया ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। 
 भारत के प्रसिद्ध कुश्ती पहलवान बजरंग पूनिया ने 22 अक्टूबर 2018 को विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। वह इस टूर्नमेंट में दो मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बन गए।

भारत का पहला जलमार्ग बंदरगाह  वाराणसी(बनारस) में आरंभ हुआ

 हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 नव. 2018 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 2400 करोड़ रुपये की सौगात दी। प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में देश के पहले मल्टी-मॉडल टर्मिनल समेत 24.3 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास करने के बाद आयोजित जनसभा को संबोधित भी किया। यह जलमार्ग वाराणसी-हल्दिया मार्ग पर बनाया गया है। गंगा नदी में बंगाल से वाराणसी तक पोत का परिचालन शुरू हो गया है। आज़ाद भारत में पहली बार गंगा के रास्ते एक कंटेनर कोलकाता से वाराणसी पहुंचा है। 
पेप्सिको कंपनी गंगा नदी के रास्ते जलपोत एमवी आरएन टैगोर के जरिए अपने 16 कंटेनर को कोलकाता से वाराणसी लेकर आई। इनलैंड वाटर हाइवे-1 पर दो जहाजों के माध्यम से ये कंटेनर आए, जिन्हें 30 अक्टूबर को कोलकाता से रवाना किया गया था। यह जलपोत एमवी आरएन टैगोर वाराणसी से इफ्को कंपनी का उर्वरक लेकर वापस कोलकाता लौटेंगे। इस टर्मिनल को हल्दिया-वाराणसी के बीच राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर विकसित किया जा रहा है। इस टर्मिनल के जरिए 1500 से 2000 टन के बड़े जहाजों की भी आवाजाही संभव हो सकेगी। 
अन्य परियोजनाओं का भी हुआ शिलान्यास.... 
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इण्टरसेप्शन डाइवर्जन ऑफ ड्रेन एण्ड ट्रीटमेण्ट वर्क एट रामनगर-वाराणसी, किला कटरिया मार्ग पर आईआरक्यूपी का कार्य, पूर्व राष्ट्रीय मार्ग संख्या-7 पड़ाव रामनगर (टेगरा मोड़) मार्ग पर आईआरक्यूपी का कार्य, लहरतारा-काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मार्ग पर उपरिगामी फुटपाथ का निर्माण, वाराणसी में हेलीपोर्ट का निर्माण, ड्राइवर प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना कार्य आदि परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने फ्रांस में भारतीय सैनिकों के सम्मान में स्मारक का उद्घाटन किया

 हाल ही में, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के सम्मान में भारत द्वारा उत्तरी फ्रांस में निर्मित पहले युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया। उपराष्ट्रपति तीन दिवसीय यात्रा पर फ्रांस में थे। विल्लर्स गुइसलेन कस्बे में युद्ध स्मारक के उद्घाटन के दौरान नायडू ने फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के पूर्व सैनिकों और बच्चों से बातचीत भी की। बता दे की आजादी के बाद यह अपनी तरह का पहला ऐसा स्मारक है जिसे भारत ने फ्रांस में बनाया है। इस स्मारक के निर्माण की घोषणा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जून, 2018 में अपनी पिछली पेरिस यात्रा के दौरान की थी। 
प्रथम विश्व युद्ध में 74,911 भारतीय सैनिक मारे गए तथा 67 हजार सैनिक घायल हुए। भारत की ओर से युद्ध में शामिल हुए सैनिकों में करीब आधे संयुक्त पंजाब प्रांत से थे। उस समय पंजाब में साक्षरता दर महज पांच प्रतिशत थी। उनमें से कुछ ही सैनिक दस्तखत करना जानते थे। फ्रांस में भारतीय और ब्रिटिश दोनों ही टुकड़ियों का नेतृत्व सर डगलस ने किया था। वर्ष 1915 की शुरुआत में भारतीय सैनिकों को पहले आराम दिया गया, लेकिन जल्द ही उनकी युद्ध में वापसी कराई गई। युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने 9200 भारतीय सैनिकों को वीरता पदकों से सम्मानित किया। सरकार ने पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए 74 हजार भारतीय सैनिकों की याद में दिल्ली में 1921 में इंडिया गेट की आधारशिला रखी। यह 1931 में बनकर तैयार हुआ। इसमें 13,300 हजार से ज्यादा सैनिकों के नाम हैं। 
प्रथम विश्व युद्ध 4 साल, 3 महीने, 2 हफ्ते तक चला था तथा इसमें 30 देश शामिल थे। इस युद्ध में लगभग 6 करोड़ 82 लाख सैनिक लड़े थे। इसमें 99 लाख 11 हजार सैनिक मारे गए। इनमें 75 हजार भारतीय थे। यह दूसरे विश्व युद्ध तक सबसे बड़ी मानवरचित त्रासदी थी। दूसरे विश्व युद्ध में सैनिकों समेत कुल 7.3 करोड़ लोग मारे गए थे। लेकिन, सबसे ज्यादा आविष्कार पहले विश्व युद्ध के दौरान हुए थे।

हरमनप्रीत कौर बनी T-20 क्रिकेट में शतक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी

Date 2018-11-11 : हाल ही में, हरमनप्रीत कौर ने 09 नव. 2018 को तूफानी बल्लेबाजी करते हुए अंतरराष्ट्रीय T-20 मैच में केवल 49 गेंदों में शतक बना डाला। हरमनप्रीत कौर ने अपनी शतकीय पारी में 8 छक्के और 7 चौके लगाए। उन्होंने 76 रन सिर्फ बाउंड्री से हासिल कर लिए। अपनी शतकीय पारी के साथ ही उन्होंने कई रिकॉर्ड्स को तोड़ा तथा नये रिकॉर्ड्स भी बनाए। कप्तान हरमनप्रीत ने पहले 50 रन 33 गेंदों में और अगले 50 रन मात्र 16 गेंदों में ही बना डाले थे। हरमनप्रीत कौर भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं जिसने टी20 इंटरनेशनल में शतक ठोका है। उन्होंने मिताली राज के 97 रन के स्कोर को पीछे छोड़ा इसके साथ ही हरमनप्रीत कौर वर्ल्ड टी20 में शतक लगाने वाली पहली भारतीय महिला कप्तान हैं। वैसे यह कारनामा करने वाली वो दुनिया की महज तीसरी कप्तान हैं। 
ध्यान दे की हरमनप्रीत कौर टी20 इंटरनेशनल की एक पारी में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाली भारतीय खिलाड़ी हैं। हरमनप्रीत ने अपनी शतकीय पारी में 8 छक्के लगाए। अगर दुनियाभर की बात करें तो डॉटिन ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 2010 में अपनी पारी में 9 छक्के लगाए थे। 
हरमनप्रीत कौर के बारे में और अधिक जानकारी इस प्रकार है.... 
 हरमनप्रीत कौर का जन्म 8 मार्च 1989 में पंजाब के मोगा में हुआ था। हरमनप्रीत एक ऑल-राउंडर खिलाड़ी हैं। 
 हरमनप्रीत कौर ने अपना पहला टेस्ट मैच अगस्त 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। 
 हरमनप्रीत कौर ने साल 2014 में अपना पहला वनडे पाकिस्तान के खिलाफ खेला था। 
 हरमनप्रीत ने वर्ष 2016 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 31 गेंदों में 46 रनों की पारी खेलकर हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। 
जून 2009 में उन्होंने ट्वेंटी-20 क्रिकेट में पदार्पण किया था।

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